Madhu varma

Add To collaction

लेखनी कविता -हम - बालस्वरूप राही

हम / बालस्वरूप राही


पूछ रहे क्यों कैसे हैं,
हम क्या ऐसे-वैसे हैं!
चमक रहा चेहरा चम-चम,
गाल टमाटर जैसे हैं!

उल्टा-सीधा खाते कम
हँसते रहते हैं हरदम!
जूस पिया करते ठंडा,
खाना खाते गरम-गरम!

   0
0 Comments